याद आया वो लम्हा..
जब वो मिलने आयी थी..
मन ही मन में...
धिरें से मुस्कुरायी थी..
हाथ मिलाने के बहाने से..
जब उसने मुझे छुवा था..
दिल के दरवाजे पर...
दस्तक सा कुछ हुवां था...
ओठों पे आये लब्ज..
छुपा रही थी वो..
अपने ही धडकते दिल को..
धडकनेसे दबा रही थी वो..
भुल गयी पगली उसकी धडकन..
मुझ तक पहूंचती है..
अगली धडकन से पहले..
मुझे उसकी याद दिलाती है...
©*मंथन*™.. ०४/०८/२०१३
जब वो मिलने आयी थी..
मन ही मन में...
धिरें से मुस्कुरायी थी..
हाथ मिलाने के बहाने से..
जब उसने मुझे छुवा था..
दिल के दरवाजे पर...
दस्तक सा कुछ हुवां था...
ओठों पे आये लब्ज..
छुपा रही थी वो..
अपने ही धडकते दिल को..
धडकनेसे दबा रही थी वो..
भुल गयी पगली उसकी धडकन..
मुझ तक पहूंचती है..
अगली धडकन से पहले..
मुझे उसकी याद दिलाती है...
©*मंथन*™.. ०४/०८/२०१३
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हिंदी शायरी